परामर्श चिकित्सक.

डॉ. रवींद्र एस चौधरी (आयुर्वेदाचार्य)

Dr. Ravindra S. Chaudhari. (B.A.M.S.) डॉ रविन्द्र चौधरी इनका जनम १९५७ में  प्रताप अस्पताल, अमलनेर, जिला ; जलगाव यहाँ पर हुआ. उन्होंने दसवी तक की पढाई प्रताप हाईस्कूल और आगे की पढाई प्रताप कॉलेज से पूरी की.

उसके आगे की मेडिकल की पढाई उन्होंने राधाकिसन तोषनीवाल आयुर्वेद महाविद्यालय, अकोला से पूरी की. १९८४ में बीएएम्एस (आयुर्वेदाचार्य) पास होने के बाद ६ महीने उन्होंने उनके बड़े भाईसाहब डॉ. वसंत चौधरी एम् डी, भुसावल इनके यहाँ प्रक्टिस और तजुर्बा हासिल किया. ६ महीने पुरे होते ही उन्होंने अमलनेर और वहा से थोड़ी ही दूर स्थित मंगरुल गाव में अस्पताल शुरू किया और मरीजो की सेवा करने लगे. जिन्हें संतान नहीं है उन लोगो/ मरीजो  के प्रति उनके मनमे  पहले से ही लगाव और आत्मीयता थी और उन्हें उनपर तरस भी आता था. उन्हें पहेले से ही  बान्ज़पन इस विषय में रूचि , जिज्ञासा थी. बांजपन से जुडी हुई हरेक किताब , अख़बार वे पढने लगे और उस विषय का ज्ञान प्राप्त करने लगे और कोशिश करते करते मरीजो को दवाइयां भी देने लगे. उसके बाद उन्हें ये एहसास  हुआ की इन दवाइयों से मरीजो को लाभ हो रहा है और इस वजह से इस विषय में उनकी रूचि और बढती गयी. इसीके अधर पर उन्होंने  साल  २००४ में 'वन्ध्यत्व सलाह और इलाज केंद्र' की शुरुवात की और देखते ही देखते अब तक ११७६ मरीजो को सफलता मिली है. 

इस कार्य में उनकी बीवी डॉ. सौ अरुणा चौधरी ने सबसे कीमती साथ और सहयोग दिया है. दवाइयां मंगाना, दवाइयां तैयार करना, उनका पाकिंग करना, पर्चियां लगाना आदी कार्य वह ठीक से करती है. उनकी बेटी डॉ.रश्मि और बेटा डॉ.आकाश ये दोनों भी इस कार्य में हमेशा उनका साथ देते है. ये सारी सफलता देखकर कभी कभी उन्हें खुद पर यकीं नहीं होता की इतने सारे मरीजो को सफलता मिली है. उनके मुताबिक उनके माता पिता के आशीर्वाद  और इश्वर की मेहेरबानी से ही ये सब मुमकिन हुआ है.

डॉक्टर कहते है की "बान्जपन के इलाज से मुझे बहुत ख़ुशी और सुकून मिलता है. मरीज भी खुश होकर जाते है. उनके चेहरे की हसी -मुस्कान देखकर मै धन्य हो जाता हूँ.  बच्चा होने के बाद जब लोग बच्चे को लेकर आते है तो मन भर आता है. मेरी भगवान से हमेशा एकही बिनती रहेगी की जो कोई भी  मरीज आये उन्हें जरूर संतान की प्राप्ति हो."